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- कार्तिक व्रत कैसे करें | ISKCON ALL IN ONE
कार्तिक व्रत कैसे करें [ 9अक्टूबर से 8 नवंबर ] 🔆 हरे कृष्ण महामंत्र का अधिक से अधिक जब करें : -क में ह ह000 🔆 सुबह जल्दी उठें ( ब्रह्म मुहूर्त को प्राथमि।तत) 🔆 पवित्र स्नान करें, कार्तिक मास में विशेष ूप ब ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: क स्नान करना अति म पानात क स स्नान 🔆 भगव| 🔆 प्रतिदिन दामोदर अष्टकम का पाठ करें। 🔆 दीप दान : कार्तिक मास में भगवान दामोदा को अ अर्पित करने कान द विशेष महत महत है इस अनुष अनुष अनुष को में दो ब ब भी क हैं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। लेकिन दिन में एक बार दीपक अवश्य चढ़ाएं - पहला चरण - भगवान के चरणकमलो के चारों ओर 4 बार5_c7581905-4cbb_bde-319 दूसरा चरण नाभि - 2 बार तीसरा चरण मुख - 3 बार चौथा चरण - पूरे शरीर के चारों ओर 7 बार। 🔆 तुलसी सेवनम: कार्तिक मास में तुलसी महाानी की सेवा करना बहुत महत तुलसी महारानी की का करना बहुत महत्वपूर्ण है।।।।।।।।।। 🔆 शास्त्र/पुस्तक पढ़ना: भगवद गीता औरीमद्भverगवतम पढ़ना: भगवद गीता औरीमद्भverगवतम पढ़न पढ़न000 🔆 वैष्णव सेवा 🔆 स्तोत्र पाठ करना: (इनमे से स gtreshingtry चुन सकते) -गजेंद्र स्तुति -शिक्षाष्टकम भगवद्गीता का -12वां अध्याय -गोपी गीत -कृष्ण की 1 लीला "श्रीकृष्ण" पुस्तक से।
- कार्तिक महात्मयः | ISKCON ALL IN ONE
कार्तिक महात्मयः कार्तिक महात्मयः ( श्रील गोपालभट् गोस्वामी कृत हरि भक्ति विलास के सोलहवें विलास के पहले खण्ड से ) स्कन्ध पुराण में कहा गया है- “ समस्त तीर्थ स्थलों में स्नान करने , दान देने आदि से कार्तिक व्रत पालन की तुलना में एक लाखवाँ फल भी प्राप्त नहीं होता । पद्मपुराण में कहा गया है- " बारह महीनों में से कार्तिक मास भगवान् को सर्वाधिक प्रिय है । इस मास में यदि कोई भगवान् विष्णु की थोड़ी सी भी पूजा करता है तो कार्तिक मास उसे भगवान् विष्णु के दिव्य धाम में निवास प्रदान करता है । " कार्तिक महिने में मात्र एक दीपक अर्पित करने से भगवान् कृष्ण प्रसन्न हो जाते है । भगवान् कृष्ण ऐसे व्यक्ति का भी गुणगान करते है जो दीपक जलाकर अन्यों को अर्पित करने के लिए देता है । " हे ऋषियों में श्रेष्ठ , कार्तिक मास में भगवान् हरि की महिमाओं का श्रवण करने वाला वшить "कार्तिक महिने जो व व Вивра स्नान करके रात्रि जागरण करता है दीपक अ अ000 क क है औ तुलसी की की की की समчей है सम समчей है की समчей है की समшли कार्तिक मास उत्सव ऊखल - बंधन लीला : श्री विश्वनाथ चक्रवास ठाकुर के अनुसा Как इस लीला में बाल - कृष्ण माखन की मटकियाँ फोड़काँ यशोदा को क्रोधित कर देते है।।।।।।।।।।। है है आवेश में आक जैसे ही यशोद म000 बहुत प выполнительный दुाग जब जब स स को गाँठ लगाने का समय आया तो वह रस्सी लम्बाई में अंगुली छोटी पड़।।।।।।। गई गई गई गई गई गई पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ पड़ जब यशोदा मैया ने औ औ Как सравило जोड़क श्знес श ब बाँधने का प्रयास किया तो वह दो अँगुली छोटी 000।।। ही ही ही वह बार - बार प्रयास का अंततः बहुत थक गई तथ श्रीकृष्ण ने स स्नेहमयी म को थकी देखक देखक000 यह लीला दर्शाती है कि पूर्ण पु выполнительный जब यशोदा मैया शшить को ब ब000 वे वास्तव में कुबेर के पुत पुत्र नलकूबर तथा मणिगшить थे जो न पुत पुत् Как नलकूबा मणिग्रीव थे, जो न न न न न न न न मुनि थे।।।।। थे थे थे थे श्री कृष्ण अपनी अहैतुकी कृपा न ना возможности कार्तिक में भक्ति करना कार्तिक में भक्ति करना पद्म पुराण में गया है कि अपनी आ आ000 इन सर्वाधिक महत्वपूर्ण उत्सवों में एक उत्सव है- 'ऊ000 यह कार्तिक ( अक्टूबर - नवम्बर ) मास में मनाया जाहई ा ा इस उत्सव में विशेषतया वृन्दावन में दामोदर रूप में भगवान् के अर्चाविग्रह की पूजा विशेष विशेष कार्यक्रम होत है है। दामोदर का संदर्भ है, अपनी माता यशोदा द्वारा कृष्ण को रस्सी से बाँधा जाना। कहा जाता है जिस प प्रकार भगवान् दामोदर अपने भक्तों को अत्यन्त प्रिय है प पtra भक को अत्यन्त प्रिय है प प्रकाen कार्तिक मास में 'ऊा - व्रत' के मथु मथुरा में भक्ति करने की संस संस्तुति की ज है।।।।।।। संस संस संस संस संस की ज है आज भी उनके भक्त इस प्रथा का पालन करते है । वे मथुरा या वृन्दावन में पूरे कार्तिक मास में भक्ति करने के उद्देश्य से वहाँ जाकर ठहरते है।।।।। पद्म - पुराण में कहा गया है 'भगवान् भक्त को मुक्ति या भौतिक सुख दे सकते है किन किन्तु भक्तगण क क सुख मथु सकते है, किन्तु भक्तगण क क में मथु क्तिक भक भक्तिक भक chvреди भक क्तिक भक= क chvреди भक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क्तिक क क्तिक क क्तिक क क chvedन क क chvedतिक क क क. तात्पर्य यह है कि भगवान उन सामान्य व्यक्तियों को भक्ति नहीं प्रदान करते, जो भक्ति के में निष निष्ठाव नहीं है है। भक भक्ति के किन्तु ऐसे निष्ठारहित व्यक्ति भी यदि कार्तिक मास में विशेषतया मथुरा मण्डल में रह कर विधिपूर्वक भक्ति करते है, तो उन्हें भगवान् की व्यक सेवा पшить ( भक्तिरसामृत सिन्धु , अध्याय 12 ) संक्षिप्त रूप में कार्तिक व्रत पालन कैसे करें :- भूमिकाः -_CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ क| कार्तिक मास की अधिषшить इस मास में अल्प प्रयास द्वारास में अल्प पшить द्वारा Как शीघ्читано प्राедавшие -_CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ "हे जनार्दन हे द द हे म хозяй मेंчей कчей मेंчей कчей मेंчей मेंчей मेंчей में властью क Вишен कчей में में Вишен कчей जन में хозяй. "हे गोपिकाओं! ब्रह्म मुहूर्त तक प्रत्येक दिन उठ जायें तथा सшить श्रीमद्भागवतम् श्रवण करें, विशेषकर дети संभव हो तो श्रवण वैष्णवों के सान्ध्यि में करें | _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ परिव| _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ तुलसी जी की आ выполнительный _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ 000 कृष्ण को नित्य दीप अप выполнительный _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ नित्य यमुना में सшить _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ वैष्णवों, वेद- नोट: कार्तिक मास में अपनी किसी भी प प्रिय खाद्य वस्तु का त्याग करने का प्रयत्न करें। कार्तिक में उड़द् दाल वर्जित है । इस म| कार्तिक व्रत पारण:- मास के अन्त में प्रातः ever वैष्णवों का सम्मान करते हुए उन्हें उपहार, दान इत्यादि देका इसके उप выполнительный महामंत्र का गान का क एवं संपूर्ण कार्तिक में व्यतीन किए हुए र राधा - कृष्ण स स्म ूपी समयी क आसा आस्व क्ण स स्म Как समयी क आस्व क्ण स स स स स स स स स स स स स स स स स सven प्रतिदिन दीप - दान ( अर्पण ) करने की विधिः 1. सा भगवान् की बंधन बंधन - - लीला अथवा Как कृष्ण के चित्र को सुंदरता के साथ अपने घ के मन्दिर में अथव अथव किसी अन स्वच स्थ के प Как सायं 7 बजे अपने परिवा возможности प्रति व्यक्ति एक घी (संभव हो तो देसी गाय का घी क करें) मिटी के छोटे दीपक ठीक रहेंगें । प्रतिदिन नये दीपक का प्रयोग करें । घी के स्थान पर तिल का तेल भी प्रयोग किया जा सकहई ा ा 2. आगे पेज प दी प प्राдобедав साथ ही साथ बारी से हा संस्कृत अगर नहीं प प000 ब ब में हिन हिन्दी अनुवाद को पढ़े। यह प्राедадол 3. तत्पश्चात् दिव्य आनन्द की अनुभूति के लिए दे दे तक हरे कृष्ण मह मह क सम कुछ दे तक o नोट: आरती के दौरान कमरे में दिव्य वातावरण के लिए कम से कम बिजली का प्रकाश (लाइटों) का प्रयोग करें। अगर आप इस इस्कॉन मन्दिा अपने मित्रों एवं सम्बन्धियों को भी दीप दान की एवं महत महत्व के ब ब में अवश्य बताएँ एवं प्रेरित करें।
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Бхаджаны и киртан by Шрила Прабхупада
- Gopi Geet - English | ISKCON ALL IN ONE
Гопи Гит Название песни: Jayati Te 'Dhikaṁ Janmanā Vrajaḥ Официальное название: Гопи Гитам (Песни разлуки гопи) Говорит: Сатьяврата Муни в беседе с Нарадой Муни Автор: Вьясадева Название книги: Бхагавата-пурана. (Раздел: Песнь 10, глава 31, стихи с 1 по 19) (1) гопья уцух джайати те 'дхикам джанмана враджах шрайата индира шашвад атра хи дайита дришьатам дикшу тавакас твайи дхритасавас твам вичинвате (2) шарад-удашайе садху-джата-сат- сарасиджодара-шри-муша дрша сурата-натха те 'шулка-дасика вара-да нагхнато неха ким вадхах (3) виша-джалапйайад вйала-ракшасад варша-марутад ваидйутаналат вриша-майатмаджад вишвато бхайад ришабха те вайам ракшита мухух (4) на кхалу гопика-нандано бхаван акхила-дехинам антаратма-дрик викханасартито вишва-гуптайе сакха удейван сатватам куле (5) вирачитабхайам вришни-дхурйа те чаранам ийушам самсритер бхайат кара-сарорухам канта кама-дам шираси дхехи нах шри-кара-грахам (6) враджа-джанарти-хан вира йошитам ниджа-джана-смайа-дхвамсана-смита бхаджа сакхе бхават-кинкарих сма но джаларухананам чару даршая (7) праната-дехинам папа-каршанам трина-чаранугам шри-никетанам пхани-пханарпитам те падамбуджам крину кучешу нах криндхи хрик-чайам (8) мадхурайа гира валгу-вакья будха-маноджшайа пушкарекшана видхи-карир има вира мухйатир адхара-сидхунапйайайасва нах (9) тава катхамритам тапта-дживанам кавибхир идитам калмашапахам шравана-мангалам шримад ататам бхуви гринанти йе бхури-да джанах (10) прахаситам прийа-према-викшанам вихаранам ча те дхйана-мангалам рахаси самвидо йа хриди спришах кухака но манах кшобхайанти привет (11) чаласи йад враджач чарайан пашун налина-сундарам натха те падам шила-тринанкураих сидатити нах калилатам манах канта гаччати (12) дина-парикшайе нила-кунталаир ванарухананам бибхрад авритам гхана-раджасвалам даршайан мухур манаси нах смарам вира яччхаси (13) праната-кама-дам падмаджарчитам дхарани-манданам дхйейам апади чарана-панкаджам шантам ча те рамана нах станешв арпайадхи-хан (14) сурата-вардханам шока-нашанам сварита-венуна суштху чумбитам итара-рага-висмаранам нринам витара вира нас те 'дхарамритам (15) атати йад бхаван ахни кананам трути югайате твам апашйатам кутила-кунталам шри-мукхам ча те джада удикшатам пакшма-крид дршам (16) пати-сутанвайа-бхратри-бандхаван ativilańghya te 'nty acyutāgatah гати-видас таводгита-мохитах китава йошитах кас тьяджен ниши (17) рахаси самвидам хрик-чайодайам прахаситананам према-викшанам брихад-урах шрийо викшйа дхама те мухур ати-сприха мухйате манах (18) враджа-ванаукасам вйактир анга те вриджина-хантри алам вишва-мангалам тйаджа манак ча нас тват-сприхатманам сва-джана-хрид-руджам йан нишуданам (19) йат те суджата-чаранамбурухам станешу бхитах шанаих прийа дадхимахи каркашешу тенатавим атаси тад вйатхате на ким свит курпадибхир бхрамати дхир бхавад-аюшам нах ПЕРЕВОД 1) Гопи сказали: О возлюбленная, Твое рождение на земле Враджа сделало ее чрезвычайно славной, и поэтому Индира, богиня процветания, всегда обитает здесь. Только ради Тебя мы, Твои преданные слуги, поддерживаем свою жизнь. Мы повсюду искали Тебя, поэтому, пожалуйста, явись нам. 2) О Господь любви, по красоте Твой взгляд превосходит мутовку самого прекрасного, самой совершенной формы лотоса в осеннем пруду. О податель благословений, Ты убиваешь служанок, которые отдали себя Тебе добровольно, без всякой платы. Разве это не убийство? 3) О величайшая из личностей, Ты неоднократно спасал нас от всевозможных опасностей — от отравленной воды, от страшного людоеда Аги, от великих дождей, от демона ветра, от огненной молнии Индры, от быка демона и от сына Майи Данавы. 4) На самом деле ты не сын гопи Яшоды, о подруга, а скорее свидетель, пребывающий в сердцах всех воплощенных душ. Поскольку Господь Брахма молился о том, чтобы Ты пришел и защитил вселенную, Ты появился в династии Сатватов. 5) О лучший из Вришни, Твоя подобная лотосу рука, которая держит руку богини процветания, дарует бесстрашие тем, кто приближается к Твоим стопам из страха перед материальным существованием. О возлюбленный, пожалуйста, возложи эту исполняющую желания лотосную руку на наши головы. 6) О Ты, уничтожающий страдания народа Враджа, о герой всех женщин, Твоя улыбка разбивает ложную гордость Твоих преданных. Пожалуйста, дорогой друг, прими нас как Своих служанок и покажи нам Свой прекрасный лотосный лик. 7) Твои лотосные стопы уничтожают прошлые грехи всех воплощённых душ, предавшихся им. Эти ноги следуют за коровами на пастбищах и являются вечной обителью богини процветания. Поскольку Ты когда-то возложил эти стопы на капюшоны великого змея Калии, пожалуйста, положи их нам на грудь и вырви похоть из наших сердец. 8) О лотосоокий, Твой сладкий голос и очаровательные слова, привлекающие умы разумных, сбивают нас с толку все больше и больше. Дорогой наш герой, пожалуйста, оживи Своих служанок нектаром Твоих уст. 9) Нектар Твоих слов и описания Твоих деяний – это жизнь и душа страдающих в этом материальном мире. Эти рассказы, переданные учеными мудрецами, искореняют греховные реакции и даруют удачу тому, кто их слышит. Эти рассказы транслируются по всему миру и наполнены духовной силой. Несомненно, те, кто распространяют весть о Боге, наиболее щедры. 10) Твои улыбки, Твои милые, любящие взгляды, интимные игры и доверительные беседы, которыми мы наслаждались с Тобой, — все это благоприятно для размышления и трогает наши сердца. Но в то же время, о обманщик, они очень волнуют наши умы. 11) Дорогой господин, дорогой возлюбленный, когда Ты покидаешь пастушью деревню, чтобы пасти коров, наши умы тревожатся мыслью, что Твои ноги, прекраснее лотоса, будут уколоты колючей шелухой зерна и грубой травой и растения. 12) В конце дня Ты неоднократно являешь нам Свой лотосный лик, покрытый синими прядями волос и густо припорошенный пылью. Так, о герой, Ты пробуждаешь в наших умах похотливые желания. 13) Твои лотосные стопы, которым поклоняется Господь Брахма, исполняют желания всех, кто склоняется перед ними. Они — украшение земли, они приносят высшее удовлетворение, а во времена опасности — подходящий объект для медитации. О возлюбленный, о разрушитель беспокойства, пожалуйста, положи эти лотосные стопы нам на грудь. 14) О герой, милостиво раздай нам нектар уст Твоих, усиливающий супружеское наслаждение и побеждающий горе. Твоя вибрирующая флейта полностью наслаждается этим нектаром и заставляет людей забыть о любых других привязанностях. 15) Когда Ты уходишь днём в лес, крошечная доля секунды становится для нас тысячелетием, потому что мы не можем Тебя видеть. И даже когда мы можем жадно взирать на Твой прекрасный лик, такой прекрасный своим украшением кудрявых локонов, нашему удовольствию препятствуют наши веки, которые сотворил неразумный творец. 16) Дорогой Ачьюта, ты прекрасно знаешь, зачем мы пришли сюда. Кто, как не такой мошенник, как Ты, бросит молодых женщин, которые приходят к Нему посреди ночи, очарованные громкой песней Его флейты? Чтобы увидеть Тебя, мы полностью отвергли своих мужей, детей, предков, братьев и других родственников. 17) Наши умы неоднократно сбиваются с толку, когда мы думаем о интимных беседах, которые мы имели с Тобой тайно, чувствуем подъем похоти в наших сердцах и вспоминаем Твое улыбающееся лицо, Твои любящие взгляды и Твою широкую грудь, место упокоения богини удача. Так мы испытываем сильнейшее стремление к Тебе. 18) О возлюбленный, Твой всеблагоприятный облик побеждает страдания тех, кто живет в лесах Враджа. Наши умы жаждут Твоего общения. Пожалуйста, дайте нам немного этого лекарства, которое противодействует болезни в сердцах Ваших преданных. 19) О возлюбленный! Твои лотосные стопы такие мягкие, что мы осторожно кладем их себе на грудь, опасаясь, что Твои стопы поранятся. Наша жизнь держится только на Тебе. Поэтому наши умы полны беспокойства о том, что Твои нежные ноги могут быть ранены камешками, когда Ты бродишь по лесной тропинке.
- Calender | ISKCON ALL IN ONE
Вайшнавский календарь ИСККОН на 2023 год
- गोपीगीतम् | ISKCON ALL IN ONE
Гопи Гит ॥ गोपीगीतम् ॥ गोप्य ऊचुः । जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि । दयित दृश्यतां दिक्षु तावका- _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ स्तраться १॥ शरदुदाशये साधुजातस- त्सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा । सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका वरद निघ्नतो नेह किं वधः ॥ २॥ विषजलाप्ययाद्व्यालराक्षसा- _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ दробно वृषमयात्मजाद्विश्वतोभया- दृषभ ते वयं रक्षितॾ ॾ मृ ३॥ न खलु गोपिकानन्दनो भवा- विखनसार्थितो विश्वगुप्तये ४॥ विरचिताभयं वृष्णिधुर्य ते करसरोरुहं कान्त कामदं ५॥ व्रजजनार्तिहन्वीर योषितां निजजनस्मयध्वंसनस्मि भज सखे भवत्किंकरीः स्म नो जलरुहाननं चारु दर्।य ६॥ प्रणतदेहिनां पापकर्शनं तृणचरानुगं श्रीनऍी२तीेत फणिफणार्पितं ते पदांबुजं _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ कृणु नः कृनхов हृच हृच Вивра ॥७॥ मधुरया गिरा वल्गुवाक्यया बुधमनोज्ञया पुष्ककेेे विधिकरीरिमा वीर मुह्यती- ८॥ तव कथामृतं तप्तजीवनं कविभिरीडितहकल्मषापम श्रवणमङ्गलं श्रीमदाततं भुवि गृणन्ति ते भू॰नदद ९॥ प्रहसितं प्रिय प्रेमवीक्षणं विहरणं च ते ध्यानऍम।।ग रहसि संविदो या हृदिस्पृशः कुहक नो मनः क्षोभयन२।।त १०॥ चलसि यद्व्रजाच्चारयन्पशून् नलिनसुन्दरं नाथ तदे पदे शिलतृणाङ्कुरैः सीदतीति नः कलिलतां मनः काऍ्त ॗचत।। ११॥ दिनपरिक्षये नीलकुन्तलै- घनरजस्वलं दर्शयन्मुहु- र्मनसि नः स्मरं वी।र यฤ। १२॥ प्रणतकामदं पद्मजार्चितं धरणिमण्डनं ध्येयम।पद चरणपङ्कजं शंतमं च ते रमण नः स्तनेष्वर्थपनाा १३॥ सुरतवर्धनं शोकनाशनं _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ स्वरितवेणुना सुष्ठु चुमказа। Вена इतररागविस्मारणं नृणां वितर वीर नस्तेऽधरथममथम १४॥ अटति यद्भवानह्नि काननं _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ तробно कुटिलकुन्तलं श्रीमुखं च ते _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ उदीकшить १५॥ पतिसुतान्वयभ्रातृबान्धवा- _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ नतिविलङ्घ्य तेऽनказа तेऽन्तFREATRY गतिविदस्तवोद्गीतमोहिताः कितव योषितः कस्त्यज। १६॥ रहसि संविदं हृच्छयोदयं बृहदुरः श्रियो वीक्ष्य धाम ते मुहुरतिस्पृा मुह्यन १७॥ व्रजवनौकसां व्यक्तिरङ्ग ते _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ वृजिनहन्त्र्добные त्यज मनाक् च नस्त्वत्स्पृहात्मनां _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ स्वजनहृदVврал १८॥ यत्ते सुजातचरणाम्बुरुहं स्तनेष _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ भीताः शनैःбина तेनाटवीमटसि तद्व्यथते न किंस्वित् _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ _CC781905-5CDE-3194-BB3B-136BAD5CF58D_ कू выполнительный १९॥
- H.H. Radha Govind Goswami | ISKCON ALL IN ONE
Его Святейшество Радха Говинд Свами Махарадж 1/1 JAN FEB МАР годовых МОЖЕТ ИЮНЬ ИЮЛЬ АВГ Сентябрь ОКТ НУВ ДЕК
- App Downlord | ISKCON ALL IN ONE
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