Bhagavad Gita chapter 1 text 9-10
Day 4 ( January 4 )
TEXT 9
anye ca bahavaḥ śūrā
mad-arthe tyakta-jīvitāḥ
nānā-śastra-praharaṇāḥ
sarve yuddha-viśāradāḥ
SYNONYMS
anye—many others; ca—also; bahavaḥ—in great numbers; śūrāḥ-heroes; mad-arthe—for my sake; tyakta-jīvitāḥ—prepared to risk life; nānā—many; śastra-weapons; praharaṇāḥ—equipped with; sarve—all of them; yuddha—battle; viśāradāḥ—experienced in military science.
TRANSLATION
There are many other heroes who are prepared to lay down their lives for my sake. All of them are well equipped with different kinds of weapons, and all are experienced in military science.
PURPORT
As far as the others are concerned—like Jayadratha, Kṛtavarmā, Śalya, etc.—all are determined to lay down their lives for Duryodhana's sake. In other words, it is already concluded that all of them would die in the Battle of Kurukṣetra for joining the party of the sinful Duryodhana. Duryodhana was, of course, confident of his victory on account of the above-mentioned combined strength of his friends.
TEXT 10
aparyāptaṁ tad asmākaṁ
balaṁ bhīṣmābhirakṣitam
paryāptaṁ tv idam eteṣāṁ
balaṁ bhīmābhirakṣitam
SYNONYMS
aparyāptam—immeasurable; tat—that; asmākam—of ours; balam—strength; bhīṣma—by Grandfather Bhīṣma; abhirakṣitam—perfectly protected; paryāptam—limited; tu—but; idam—all these; eteṣām—of the Pāṇḍavas; balam—strength; bhīma—by Bhīma; abhirakṣitam—carefully protected.
TRANSLATION
Our strength is immeasurable, and we are perfectly protected by Grandfather Bhīṣma, whereas the strength of the Pāṇḍavas, carefully protected by Bhīma, is limited.
PURPORT
Herein an estimation of comparative strength is made by Duryodhana. He thinks that the strength of his armed forces is immeasurable, being specifically protected by the most experienced general, Grandfather Bhīṣma. On the other hand, the forces of the Pāṇḍavas are limited, being protected by a less experienced general, Bhīma, who is like a fig in the presence of Bhīṣma. Duryodhana was always envious of Bhīma because he knew perfectly well that if he should die at all, he would only be killed by Bhīma. But at the same time, he was confident of his victory on account of the presence of Bhīṣma, who was a far superior general. His conclusion that he would come out of the battle victorious was well ascertained.
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 1 . 9
अन्य च बहवः श्रूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः |नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः || ९ ||
अन्ये - अन्य सब; च - भी; बहवः - अनेक; शूराः - वीर; मत्-अर्थे - मेरे लिए; त्यक्त-जीविताः - जीवन का उत्सर्ग करने वाले; नाना - अनेक; शस्त्र - आयुध; प्रहरणाः - से युक्त, सुसज्जित; सर्वे - सभी; युद्ध-विशारदाः - युद्धविद्या में निपुण ।
भावार्थ
ऐसे अन्य वीर भी हैं जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत हैं । वे विविध प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्धविद्या में निपुण हैं ।
तात्पर्य
जहाँ तक अन्यों का-यथा जयद्रथ, कृतवर्मा तथा शल्य का सम्बन्ध है वे सब दुर्योधन के लिए उपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहते थे । दुसरे शब्दों में, यह पूर्वनिश्चित है कि वे पापी दुर्योधन के दल में सम्मिलित होने के कारण कुरुक्षेत्र के युद्ध में मारे जायेंगे । निस्सन्देह अपने मित्रों की संयुक्त-शक्ति के कारण दुर्योधन अपनी विजय के प्रति आश्र्वस्थ था ।
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 1 . 10
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् |पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् || १० ||
अपर्याप्तम् - अपरिमेय; तत् - वह; अस्माकम् - हमारी; बलम् - शक्ति; भीष्म - भीष्म पितामह द्वारा; अभिरक्षितम् - भलीभाँति संरक्षित; पर्याप्तम् - सीमित; तु - लेकिन; इदम् - यह सब; एतेषाम् - पाण्डवों की; बलम् - शक्ति; भीम - भीम द्वारा; अभिरक्षितम् - भलीभाँति सुरक्षित ।
भावार्थ
हमारी शक्ति अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भलीभाँति संरक्षित हैं, जबकि पाण्डवों की शक्ति भीम द्वारा भलीभाँति संरक्षित होकर भी सीमित है ।
तात्पर्य
यहाँ पर दुर्योधन ने तुलनात्मक शक्ति का अनुमान प्रस्तुत किया है । वह सोचता है कि अत्यन्त अनुभवी सेनानायक भीष्म पितामह के द्वारा विशेष रूप से संरक्षित होने के कारण उसकी सशस्त्र सेनाओं की शक्ति अपरिमेय हैं । दूसरी ओर पाण्डवों की सेनाएँ सीमित हैं क्योंकि उनकी सुरक्षा एक कम अनुभवी नायक भीम द्वारा की जा रही है जो भीष्म की तुलना में नगण्य है । दुर्योधन सदैव भीम से ईर्ष्या करता था क्योंकि वह जानता था की यदि उसकी मृत्यु कभी हुई भी तो वह भीम के द्वारा ही होगी । किन्तु साथ ही उसे दृढ विश्र्वास था कि भीष्म की उपस्थिति में उसकी विजय निश्चित है क्योंकि भीष्म कहीं अधिक उत्कृष्ट सेनापति हैं । वह युद्ध में विजयी होगा यह उसका दृढ निश्चय था ।
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