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Bhagavad Gita chapter 1 text 23

Day 11 ( January 11 )

TEXT 23

yotsyamānān avekṣe 'haṁ

ya ete 'tra samāgatāḥ

dhārtarāṣṭrasya durbuddher

yuddhe priya-cikīrṣavaḥ

SYNONYMS

yotsyamānānthose who will be fighting; avekṣelet me see; ahamI; yewho; etethose; atrahere; samāgatāḥassembled; dhārtarāṣṭrasyathe son of Dhṛtarāṣṭra; durbuddheḥevil-minded; yuddhein the fight; priyawell; cikīrṣavaḥwishing.

TRANSLATION

Let me see those who have come here to fight, wishing to please the evil-minded son of Dhṛtarāṣṭra.

PURPORT

It was an open secret that Duryodhana wanted to usurp the kingdom of the Pāṇḍavas by evil plans, in collaboration with his father, Dhṛtarāṣṭra. Therefore, all persons who had joined the side of Duryodhana must have been birds of the same feather. Arjuna wanted to see them in the battlefield before the fight was begun, just to learn who they were, but he had no intention of proposing peace negotiations with them. It was also a fact that he wanted to see them to make an estimate of the strength which he had to face, although he was quite confident of victory because Kṛṣṇa was sitting by his side.



अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

श्लोक 1 . 23



योत्स्यमानानवेक्षेSहं य एतेSत्र समागताः |
धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः || २३ ||
 


योत्स्यमानान् – युद्ध करने वालों को; अवेक्षे – देखूँ; अहम् – मैं; ये – जो; एते – वे; अत्र – यहाँ; समागता – एकत्र; धार्तराष्ट्रस्य – धृतराष्ट्र के पुत्र कि; दुर्बुद्धेः – दुर्बुद्धि; युद्धे – युद्ध में; प्रिय – मंगल, भला; चिकीर्षवः – चाहने वाले |
 

भावार्थ


मुझे उन लोगों को देखने दीजिये जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र (दुर्योधन) को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आये हुए हैं |

 

 तात्पर्य



यह सर्वविदित था कि दुर्योधन अपने पिता धृतराष्ट्र की साँठगाँठ से पापपूर्ण योजनाएँ बनाकर पाण्डवों के राज्य को हड़पना चाहता था | अतः जिन समस्त लोगों ने दुर्योधन का पक्ष ग्रहण किया था वे उसी के समानधर्मा रहे होंगे | अर्जुन युद्ध प्रारम्भ होने के पूर्व यह तो जान ही लेना चाहता था कि कौन-कौन से लोग आये हुए हैं | किन्तु उनके समक्ष समझौता का प्रस्ताव रखने की उसकी कोई योजना नहीं थी | यह भी तथ्य था की वह उनकी शक्ति का, जिसका उसे सामना करना था, अनुमान लगाने कि दृष्टि से उन्हें देखना चाह रहा था, यद्यपि उसे अपनी विजय का विश्र्वास था क्योंकि कृष्ण उसकी बगल में विराजमान थे |

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